साल के 12 महीने समय चक्र का एक हिस्सा हैं | हिंदी और अंग्रेजी कैलेंडर का अनुसार साल के 12 महीने जलवायु और मौसम में हो रहे मरिवर्तन को दर्शाते हैं | भारत देश में भी हिंदी पंचांग (विक्रम संवत) के अनुसार 12 महीने होते हैं | लेकिन इन महीनों के नाम अंग्रेज़ी कैलेंडर से अलग होते हैं | आइये हम इन महीनों के बारे में चर्चा करते हैं:
12 महीनों के नाम हिंदी और अंग्रेज़ी में
क्र. सं. | महीनों के नाम हिंदी में | महीनों के नाम अंग्रेजी में |
1 | चैत्र (मार्च-अप्रैल) | January (जनवरी) |
2 | वैशाख (अप्रैल-मई) | February (फरवरी) |
3 | ज्येष्ठ (मई-जून) | March (मार्च) |
4 | आषाढ़ (जून-जुलाई) | April (अप्रैल) |
5 | श्रावण (जुलाई-अगस्त) | May (मई) |
6 | भाद्रपद (अगस्त-सितंबर) | June (जून) |
7 | आश्विन (सितंबर-अक्टूबर) | July (जुलाई) |
8 | कार्तिक (अक्टूबर-नवंबर) | August (अगस्त) |
9 | अगहन (नवंबर-दिसंबर) | September (सितम्बर) |
10 | पौष (दिसंबर-जनवरी) | October (अक्टूबर) |
11 | माघ (जनवरी-फरवरी) | November (नवम्बर) |
12 | फाल्गुन (फरवरी-मार्च) | December (दिसम्बर) |
12 महीनों के नाम हिंदी में (हिंदी कैलेंडर के अनुसार)
हिंदू कैलेंडर (विक्रम संवत) में 12 महीने होते हैं, जो चंद्रमा की गति पर आधारित हैं। यहाँ प्रत्येक महीने के बारे में विस्तृत जानकारी दी गई है:
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1. चैत्र (मार्च-अप्रैल)
- विशेषता: यह विक्रम संवत का पहला महीना होता है और नववर्ष की शुरुआत होती है।
- त्योहार: चैत्र नवरात्रि, राम नवमी, गुड़ी पड़वा।
- मौसम: वसंत ऋतु का आगमन।
2. वैशाख (अप्रैल-मई)
- विशेषता: यह महीना गर्मी की शुरुआत का प्रतीक है।
- त्योहार: अक्षय तृतीया, बुद्ध पूर्णिमा।
- मौसम: ग्रीष्म ऋतु।
3. ज्येष्ठ (मई-जून)
- विशेषता: यह साल का सबसे गर्म महीना होता है।
- त्योहार: वट सावित्री व्रत, निर्जला एकादशी।
- मौसम: ग्रीष्म ऋतु।
4. आषाढ़ (जून-जुलाई)
- विशेषता: इस महीने में मानसून की शुरुआत होती है।
- त्योहार: गुरु पूर्णिमा, देवशयनी एकादशी।
- मौसम: वर्षा ऋतु।
5. श्रावण (जुलाई-अगस्त)
- विशेषता: यह महीना भगवान शिव की पूजा के लिए विशेष माना जाता है।
- त्योहार: हरियाली तीज, नाग पंचमी, रक्षाबंधन।
- मौसम: वर्षा ऋतु।
6. भाद्रपद (अगस्त-सितंबर)
- विशेषता: इस महीने में कृष्ण जन्माष्टमी और गणेश चतुर्थी जैसे त्योहार मनाए जाते हैं।
- त्योहार: जन्माष्टमी, गणेश चतुर्थी।
- मौसम: वर्षा ऋतु का अंत।
7. आश्विन / क्वार (सितंबर-अक्टूबर)
- विशेषता: यह महीना शरद ऋतु की शुरुआत का प्रतीक है।
- त्योहार: नवरात्रि, दशहरा, शरद पूर्णिमा।
- मौसम: शरद ऋतु।
8. कार्तिक (अक्टूबर-नवंबर)
- विशेषता: यह महीना धार्मिक और आध्यात्मिक गतिविधियों के लिए महत्वपूर्ण है।
- त्योहार: दिवाली, गोवर्धन पूजा, भाई दूज।
- मौसम: शरद ऋतु।
9. अगहन / मार्गशीर्ष (नवंबर-दिसंबर)
- विशेषता: इस महीने में ठंड की शुरुआत होती है।
- त्योहार: छठ पूजा, विवाह मौसम की शुरुआत।
- मौसम: हेमंत ऋतु।
10. पौष (दिसंबर-जनवरी)
- विशेषता: यह साल का सबसे ठंडा महीना होता है।
- त्योहार: मकर संक्रांति, पोंगल।
- मौसम: शिशिर ऋतु।
11. माघ (जनवरी-फरवरी)
- विशेषता: इस महीने में स्नान और दान का विशेष महत्व होता है।
- त्योहार: माघ मेला, बसंत पंचमी।
- मौसम: शिशिर ऋतु।
12. फाल्गुन (फरवरी-मार्च)
- विशेषता: यह महीना वसंत ऋतु का प्रतीक है और रंगों का त्योहार होली इसी महीने में मनाया जाता है।
- त्योहार: होली, महाशिवरात्रि।
- मौसम: वसंत ऋतु।
रोचक तथ्य:
- चंद्र आधारित: विक्रम संवत के महीने चंद्रमा की गति पर आधारित होते हैं।
- अधिक मास: हर 3 साल में एक अतिरिक्त महीना (अधिक मास) जोड़ा जाता है ताकि चंद्र और सौर कैलेंडर में समन्वय बना रहे।
- धार्मिक महत्व: हर महीने में कम से कम एक प्रमुख त्योहार या व्रत होता है।
- महीने के शुरुआत: हिंदू कैलेंडर में महीनों की शुरुआत अमावस्या या पूर्णिमा से होती है।
- नेपाल में प्रयोग: नेपाल में विक्रम संवत को राष्ट्रीय कैलेंडर के रूप में मान्यता प्राप्त है।
12 अंग्रेजी महीनों के नाम (ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार)
अंग्रेज़ी में महीनों के नामों का इतिहास बहुत ही रोचक है। यह नाम प्राचीन रोमन कैलेंडर, देवताओं, सम्राटों और संख्याओं से जुड़े हुए हैं। आइए, प्रत्येक महीने के नाम का इतिहास जानते हैं:
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1. जनवरी (January)
- मूल: यह नाम रोमन देवता जानस (Janus) के नाम पर रखा गया है।
- विशेषता: जानस को शुरुआत और परिवर्तन का देवता माना जाता है। उनके दो चेहरे होते हैं, एक पीछे और एक आगे की ओर, जो अतीत और भविष्य को दर्शाते हैं।
2. फरवरी (February)
- मूल: यह नाम रोमन त्योहार फेब्रुअलिया (Februalia) से लिया गया है।
- विशेषता: यह त्योहार शुद्धिकरण और वसंत की तैयारी से जुड़ा हुआ था।
3. मार्च (March)
- मूल: यह नाम रोमन युद्ध के देवता मार्स (Mars) के नाम पर रखा गया है।
- विशेषता: मार्स को रोमन संस्कृति में बहुत महत्व दिया जाता था, क्योंकि वे युद्ध और कृषि के देवता थे।
4. अप्रैल (April)
- मूल: यह नाम लैटिन शब्द एप्रिलिस (Aprilis) से लिया गया है, जो शायद एपेरिरे (Aperire) से जुड़ा है, जिसका अर्थ है “खुलना”।
- विशेषता: यह वसंत के मौसम में फूलों और प्रकृति के खुलने का प्रतीक है।
5. मई (May)
- मूल: यह नाम रोमन देवी माइया (Maia) के नाम पर रखा गया है।
- विशेषता: माइया वृद्धि और फलने-फूलने की देवी थीं।
6. जून (June)
- मूल: यह नाम रोमन देवी जूनो (Juno) के नाम पर रखा गया है।
- विशेषता: जूनो को विवाह और परिवार की देवी माना जाता था।
7. जुलाई (July)
- मूल: यह नाम रोमन सम्राट जूलियस सीज़र (Julius Caesar) के नाम पर रखा गया है।
- विशेषता: जूलियस सीज़र ने रोमन कैलेंडर में सुधार किया था, और उनके सम्मान में इस महीने का नाम रखा गया।
8. अगस्त (August)
- मूल: यह नाम रोमन सम्राट ऑगस्टस सीज़र (Augustus Caesar) के नाम पर रखा गया है।
- विशेषता: ऑगस्टस सीज़र ने भी जूलियन कैलेंडर में सुधार किया था, और उनके सम्मान में इस महीने का नाम रखा गया।
9. सितंबर (September)
- मूल: यह नाम लैटिन शब्द सेप्टेम (Septem) से लिया गया है, जिसका अर्थ है “सात”।
- विशेषता: रोमन कैलेंडर में यह सातवाँ महीना था।
10. अक्टूबर (October)
- मूल: यह नाम लैटिन शब्द ऑक्टो (Octo) से लिया गया है, जिसका अर्थ है “आठ”।
- विशेषता: रोमन कैलेंडर में यह आठवाँ महीना था।
11. नवंबर (November)
- मूल: यह नाम लैटिन शब्द नोवेम (Novem) से लिया गया है, जिसका अर्थ है “नौ”।
- विशेषता: रोमन कैलेंडर में यह नौवाँ महीना था।
12. दिसंबर (December)
- मूल: यह नाम लैटिन शब्द डेसेम (Decem) से लिया गया है, जिसका अर्थ है “दस”।
- विशेषता: रोमन कैलेंडर में यह दसवाँ महीना था।
रोचक तथ्य:
- रोमन कैलेंडर में मूल रूप से केवल 10 महीने होते थे, और साल की शुरुआत मार्च से होती थी।
- जनवरी और फरवरी को बाद में जोड़ा गया, जिससे महीनों की संख्या 12 हो गई।
- जूलियस सीज़र और ऑगस्टस सीज़र के सम्मान में जुलाई और अगस्त के नाम रखे गए।
हिंदू कैलेंडर (विक्रम संवत) का इतिहास एवं महत्त्व:
विक्रम संवत (Vikram Samvat) एक प्राचीन हिंदू कैलेंडर है, जो भारतीय उपमहाद्वीप में रूप से प्रयोग किया जाता है। यह कैलेंडर ईसा पूर्व 57 में शुरू हुआ था और इसे राजा विक्रमादित्य के नाम पर रखा गया है। यह चंद्र-सौर कैलेंडर है, जो चंद्रमा और सूर्य की गति पर आधारित है। आइए, विक्रम संवत के बारे में विस्तार से जानते हैं और कुछ रोचक तथ्य भी जानें:
विक्रम संवत का इतिहास:
- स्थापना: विक्रम संवत की शुरुआत 57 ईसा पूर्व में हुई थी। मान्यता है कि उज्जैन के राजा विक्रमादित्य ने शकों को हराकर इस संवत की शुरुआत की थी।
- उद्देश्य: यह कैलेंडर धार्मिक, सामाजिक और प्रशासनिक कार्यों के लिए प्रयोग किया जाता था।
- प्रचलन: यह कैलेंडर भारत, नेपाल और अन्य दक्षिण एशियाई देशों में प्रयोग किया जाता है। नेपाल का राष्ट्रीय कैलेंडर विक्रम संवत पर आधारित है।
विक्रम संवत की संरचना:
- महीने: विक्रम संवत में 12 महीने होते हैं, जो चंद्रमा की गति पर आधारित हैं। प्रत्येक महीना अमावस्या से शुरू होता है।
- दिन: प्रत्येक महीने में 29 या 30 दिन होते हैं।
- अधिक मास: चंद्र और सौर कैलेंडर के बीच समन्वय बनाए रखने के लिए हर 3 साल में एक अतिरिक्त महीना (अधिक मास) जोड़ा जाता है।
विक्रम संवत के महीनों के नाम हिंदी में:
- चैत्र (मार्च-अप्रैल)
- वैशाख (अप्रैल-मई)
- ज्येष्ठ (मई-जून)
- आषाढ़ (जून-जुलाई)
- श्रावण (जुलाई-अगस्त)
- भाद्रपद (अगस्त-सितंबर)
- आश्विन (सितंबर-अक्टूबर)
- कार्तिक (अक्टूबर-नवंबर)
- अगहन (नवंबर-दिसंबर)
- पौष (दिसंबर-जनवरी)
- माघ (जनवरी-फरवरी)
- फाल्गुन (फरवरी-मार्च)
विक्रम संवत के रोचक तथ्य:
- राजा विक्रमादित्य: विक्रम संवत का नाम राजा विक्रमादित्य के नाम पर रखा गया है, जो अपनी बहादुरी और न्यायप्रियता के लिए प्रसिद्ध थे।
- नववर्ष: विक्रम संवत का नववर्ष चैत्र मास की शुक्ल प्रतिपदा (चैत्र शुक्ल प्रतिपदा) से शुरू होता है, जो आमतौर पर मार्च-अप्रैल में पड़ता है।
- धार्मिक महत्व: विक्रम संवत में हिंदू त्योहार, व्रत और उत्सव मनाए जाते हैं, जैसे दिवाली, होली, नवरात्रि आदि।
- नेपाल का राष्ट्रीय कैलेंडर: नेपाल में विक्रम संवत को राष्ट्रीय कैलेंडर के रूप में मान्यता प्राप्त है।
- शक संवत से भिन्न: विक्रम संवत और शक संवत दोनों अलग-अलग हैं। शक संवत की शुरुआत 78 ईस्वी में हुई थी।
- पुराणों में उल्लेख: विक्रम संवत का उल्लेख कई प्राचीन ग्रंथों और पुराणों में मिलता है।
- ज्योतिष में महत्व: विक्रम संवत का उपयोग ज्योतिषीय गणनाओं और पंचांग बनाने में किया जाता है।
विक्रम संवत और ग्रेगोरियन कैलेंडर में अंतर:
- विक्रम संवत चंद्र-सौर कैलेंडर है, जबकि ग्रेगोरियन कैलेंडर पूरी तरह से सौर कैलेंडर है।
- विक्रम संवत में महीने चंद्रमा की गति पर आधारित होते हैं, जबकि ग्रेगोरियन कैलेंडर में महीने सूर्य की गति पर आधारित होते हैं।
- विक्रम संवत का नववर्ष मार्च-अप्रैल में शुरू होता है, जबकि ग्रेगोरियन कैलेंडर का नववर्ष 1 जनवरी से शुरू होता है।
महत्व:
विक्रम संवत न केवल एक कैलेंडर है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति, इतिहास और परंपराओं का प्रतीक है। यह हिंदू धर्म के त्योहारों, व्रतों और शुभ मुहूर्तों को निर्धारित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
हिंदू कैलेंडर से जुड़े कुछ रोचक प्रश्न एवं उत्तर
हिंदू कैलेंडर का नववर्ष कब शुरू होता है?
हिंदू कैलेंडर का नववर्ष चैत्र मास की शुक्ल प्रतिपदा (चैत्र शुक्ल प्रतिपदा) से शुरू होता है, जो आमतौर पर मार्च-अप्रैल में पड़ता है।
अधिक मास (मलमास) क्या होता है?
अधिक मास एक अतिरिक्त महीना होता है, जो हर 3 साल में जोड़ा जाता है। यह चंद्र और सौर कैलेंडर के बीच समन्वय बनाए रखने के लिए होता है।
क्या हिंदू कैलेंडर में लीप वर्ष होता है?
हाँ, हिंदू कैलेंडर में अधिक मास (मलमास) और क्षय मास के माध्यम से लीप वर्ष की व्यवस्था की जाती है।
हिंदू कैलेंडर में क्षय मास क्या होता है?
क्षय मास एक दुर्लभ घटना है, जब एक महीने में दो अमावस्या या दो पूर्णिमा पड़ती हैं। इस स्थिति में एक महीना कम हो जाता है।
हिंदी कैलेंडर में कितने पक्ष होते हैं?
हिंदी कैलेंडर (हिंदू कैलेंडर) में प्रत्येक महीने को दो पक्षों में बांटा गया है: शुक्ल पक्ष (चंद्रमा का बढ़ता हुआ भाग), कृष्ण पक्ष (चंद्रमा का घटता हुआ भाग)। हर पक्ष में 15 दिन होते हैं।
हम आशा करते हैं की आपको ये जानकारी पसंद आयी होगी | हमने 12 महीनों के नाम हिंदी और अंग्रेज़ी में बताये हैं |
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